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Fundamental of Accounting

Step :- 1 


📢 नमस्कार दोस्तों!

आज हम आपको अकाउंट और अकाउंटिंग के तीन मुख्य प्रकार के खातों के बारे में जानेंगे—व्यक्तिगत खाता (Personal Account), वास्तविक खाता (Real Account), और अवास्तविक खाता (Nominal Account)।

What is Account (खाता क्या है)

खाता वह पुस्तक है जिसमे एक व्यापारी अपने एक वित्तीय वर्ष के
लेनदेनो का  हिसाब किताब आसानी से रखता है अर्थात कोई भी ऐसी पुस्तक जिसमे एक व्यापारी अपने लेनदेनो को आसानी से समायोजित करता है खाता कहलाती है !

व्यापार का हिसाब किताब आसानी से रखने के लिए  3 व्यापारिक खातो का प्रयोग होता है इस प्रकार खाते 3 प्रकार के होते है

1. Personal Account (व्यक्तिगत खाता)
2. Real Account (वास्तविक खाता)
 3. Nominal Account (अवास्तविक खाता)

Types of Account

इसमें सभी खातो के दो रूल है जिनको समझकर आसानी से हम जर्नल एंट्री बना सकते है !

1. Personal Account (व्यक्तिगत खाता)

पहचान:- इस खाते के अंतर्गत दो व्यक्ति या दो कंपनियों के बीच का लेनदेन दर्शाया जाता है जिसमे एक व्यक्ति पाने वाला होता है और दूसरा देनेवाला
Rule:- 1. पाने वाले व्यक्ति को Debit किया जाता है
Rule:- 2. देने वाले व्यक्ति को Credit किया जाता है
Example:-1 सोहन को 500 रुपए दिए                   
           Sohan                Dr                      
               To Cash a\c                                   
Example:-2  मोनू से 1000 रूपये लिए
              Cash  a/c     Dr
                  To Monu a/c

 2. Real Account (वास्तविक खाता)

पहचान:- इस खाते के अंतर्गत एक बस्तु या सम्पति का व्यापार में आना एक वस्तु या सम्पति का व्यापर से जाना दर्शया जाता है
Rule:- 1. व्यापार मै आने वाली सभी वस्तु या संपत्ति Debit की जाती है
Rule:- 2. व्यापार से जाने वाली सभी वस्तु संपत्ति Credit की जाती है
Example:-1 फर्नीचर ख़रीदा                                             Example:-2 कम्पुटर खरीदा
            Furniture a/c    Dr                                                          Computer a/c    Dr 
               To Cash a/c                                                                            To  Cash a/c

3. Nominal Account (अवास्तविक खाता)

पहचान:- इस खाते के अंतर्गत व्यापर में होने वाले सभी खर्च हानि और लाभ आय को दर्शाया जाता है
Rule:- 1. व्यापार मै होने वाले सभी खर्च हानियों को Debit किया जाता है
Rule:- 2. व्यापार मै होने वाले सभी आय लाभ Credit  किये जाते है

Example:-1 किराया दिया          Example:-2 कमीशन मिला
 Rent a/c   Dr                                        Cash a/c Dr              
    To   Cash a/c                                            To Commission A/c
Step :- 2

व्यवसाय में लेखांकन और वित्तीय प्रबंधन के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ होती हैं, जिनमें क्रय (Purchase), क्रय वापसी (Purchase Return), बिक्री (Sales), और बिक्री वापसी (Sales Return) प्रमुख हैं। इन सभी प्रक्रियाओं को समझना किसी भी व्यवसाय के लिए आवश्यक है। आइए इनका विस्तृत अध्ययन करें।

Purchase (क्रय) :-

क्रय (खरीद) से आशय किसी व्यवसाय में व्यापार करने हेतू लाई गयी वस्तु या सेवा से होता है, जिसे एक व्यापारी बेचकर लाभ कमाता है, व्यापर में माल दो तरहा से खरीदा जाता है
1. नकद क्रय (Cash Purchase) 
2. उधार क्रय (Credit Purchase)
नोट: व्यापारिक क्रय में केवल वही वस्तु या संपत्ति शामिल की जाती है जिसको एक व्यापारी अपने व्यापार में बेचने या व्यापर करने के उद्देश्य से  लाता है  की अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए 
जैसे : यदि 10 कंप्यूटर बेचने के लिए व्यापार में लाये गए है तो यह व्यापार के लिए उसका क्रय है, और यदि एक कंप्यूटर व्यापार का हिसाब किताब रखने के लिए क्रय किया गया है तो यह व्यापर के क्रय में शामिल नहीं किया जायेगा
कोई भी माल क्रय (Purchase)का जर्नल
SK Verma से 10 कंप्यूटर खरीदे
Computer a/c    Dr.

        To SK Verma

  Purchase Return (क्रय वापसी) :-

 खरीदा हुआ माल जब वापस किया जाता है तो वह क्र्य वापसी (Purchase Return) कहलाता है!

  1. माल में दोष या खराबी
  1. गलत उत्पाद की डिलीवरी
  1. अधिक मात्रा में ऑर्डर किया गया माल

खरीद वापसी के दौरान विक्रेता द्वारा क्रेडिट नोट (Credit Note) जारी किया जाता है, जिससे खरीदार को भविष्य में खरीद के दौरान समायोजन करने की सुविधा मिलती है।

Example:- SK Verma से 2 कंप्यूटर वापस आये

                SK Verma     Dr.

                        To Purchase Return A/c 

Sale (विक्रय ) :-

जब कोई भी वस्तु संपत्ति या सेवा लाभ कमाने के उद्देश्य से बेचीं जाती है तो वह Sales(विक्रय) कहलाती है व्यापर में माल दो तरहा से बेचा जाता है  नकद विक्रय (Cash Sales) और उधार विक्रय (Credit Sale), नकद व उधार विक्रय दोनों को मिलाकर ही कुल विक्रय माना जाता है

 Example:- 10 कंप्यूटर रोहन गुप्ता को बेचे

 Sales A/c   Dr.

      To Computer a/c

Sales Return (विक्रय वापसी) :-

 जब बेचा हुआ माल वापस आता है तो वह विक्रय वापसी (Sales Return) कहलाता है

  Example:- राजेंद्र एंड कंपनी को 6000 का माल बेचा

            Rajendra & Company           Dr

                             To Sales a/c

  Example:-राजेंद्र एंड कंपनी से 2000 का माल वापस आया                                     

      Sales Return  a/c  Dr 

            To Rajendra & Company

निष्कर्ष :-
व्यवसाय में खरीद, खरीद वापसी, बिक्री और बिक्री वापसी जैसी प्रक्रियाएँ व्यापार की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन प्रक्रियाओं को सही ढंग से प्रबंधित करने से न केवल व्यवसाय की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होती है, बल्कि ग्राहकों और विक्रेताओं के साथ बेहतर संबंध भी बनाए जा सकते हैं।

यदि आप एक सफल व्यापार संचालित करना चाहते हैं, तो इन सभी पहलुओं को समझकर सही रणनीतियाँ अपनाएँ और अपने व्यवसाय को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ।

Step:-3

आज के प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में, व्यवसाय अपने ग्राहकों को आकर्षित करने और बिक्री बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के डिस्काउंट प्रदान करते हैं। इनमें प्रमुख रूप से तीन प्रकार के डिस्काउंट शामिल होते हैं – डिस्काउंट (Discount), कैश डिस्काउंट (Cash Discount) और ट्रेड डिस्काउंट (Trade Discount)। इस ब्लॉग में हम इन तीनों के बीच के अंतर को समझेंगे और यह भी जानेंगे कि यह व्यवसायों और ग्राहकों के लिए कैसे फायदेमंद होते हैं।डिस्काउंट क्या होता है?

कैश डिस्काउंट (Cash Discount) क्या है?
ट्रेड डिस्काउंट (Trade Discount) क्या है?

1. डिस्काउंट क्या होता है?

डिस्काउंट वह छूट या रियायत होती है जो विक्रेता (Seller) ग्राहक (Customer) को प्रदान करता है ताकि उसे सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। यह विभिन्न कारणों से दिया जाता है, जैसे – स्टॉक क्लियरेंस, त्योहारी ऑफर, थोक खरीदारी आदि।

2. कैश डिस्काउंट (Cash Discount) क्या है?

कैश डिस्काउंट वह छूट होती है जो विक्रेता ग्राहक को शीघ्र भुगतान करने के बदले प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य जल्दी पेमेंट प्राप्त करना होता है जिससे व्यवसाय की नकदी प्रवाह (Cash Flow) बेहतर बनी रहे।

कैश डिस्काउंट के लाभ:
ग्राहक को जल्दी भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
व्यवसायों को नकदी प्रवाह बनाए रखने में मदद करता है।
बकाया भुगतान (Outstanding Payment) को कम करता है।
कैश डिस्काउंट का उदाहरण:

यदि किसी विक्रेता ने 10,000 रुपये का बिल जारी किया है और ग्राहक 5 दिनों के भीतर भुगतान करता है, तो उसे 5% की छूट मिल सकती है, जिससे उसे केवल 9,500 रुपये ही भुगतान करने होंगे।

3. ट्रेड डिस्काउंट (Trade Discount) क्या है?

ट्रेड डिस्काउंट वह छूट होती है जो विक्रेता थोक खरीदारों, वितरकों (Distributors) या खुदरा विक्रेताओं (Retailers) को प्रदान करता है। यह प्रायः बड़ी मात्रा में सामान खरीदने पर दिया जाता है और व्यवसायों को अपनी लागत कम करने में मदद करता है।

ट्रेड डिस्काउंट के लाभ:

थोक खरीदारों को प्रोत्साहित करता है।
खुदरा विक्रेताओं को उच्च लाभ मार्जिन प्राप्त करने में मदद करता है।
विक्रेता को अपने उत्पादों की अधिक बिक्री करने में सहायता करता है।
मान लीजिए, एक कंपनी 50,000 रुपये के माल पर 10% ट्रेड डिस्काउंट देती है। इसका मतलब ग्राहक को 5,000 रुपये की छूट मिलेगी और वह केवल 45,000 रुपये का ही भुगतान करेगा |

निष्कर्ष

डिस्काउंट, कैश डिस्काउंट और ट्रेड डिस्काउंट तीनों ही व्यवसायों और ग्राहकों के लिए लाभकारी होते हैं। जहां कैश डिस्काउंट जल्दी भुगतान को बढ़ावा देता है, वहीं ट्रेड डिस्काउंट थोक व्यापार को प्रोत्साहित करता है। सही डिस्काउंट नीति अपनाकर व्यवसाय अपनी बिक्री और लाभ दोनों को बढ़ा सकते हैं।

    

  

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